वास्तु शास्त्र के प्राचीन कृति मयमतम् ग्रंथ के अनुसार मित्र पद पश्चिम में स्थित है । अतिथि घर के अस्थायी निवासी होते हैं । वायव्य कोण (उत्तर एवं पश्चिम) दिशा गतिशीलता से संबंधित है! इसीलिए अतिथि शयनकक्ष वायव्य कोण में ही होना उपयुक्त है! मयमतम् ग्रंथ के अनुसार पश्चिम में मित्र देवता का पद है।इसलिए अतिथि का शयनकक्ष वायव्य कोण में ही उत्तम रहेगा।
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